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मनुष्य और रोबोट संबंधों के 100 वें वर्ष का जश्न (2020-21)
1920…ये वह साल था जब दुनिया को पहली बार पता चला कि रोबोट क्या होता है। चेक लेखक कैरेल चैपेक ने यन्त्र मानवों पर केन्द्रित अपने नाटक आर.यू.आर. ( रोशुम के यूनिवर्सल रोबोट्स) में, जिसका पहला मंचन 25 जनवरी 1921 को हुआ, हमें रोबोट नाम की ऐसी शय से मिलाया, जो हमारे लिए एकदम अनजानी थी, लेकिन, बीते सौ सालों में वह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी है।
आज के उन्नत रोबोट्स हमारे सेवक से ऊपर उठकर सहचर की भूमिका में आ पहुँचे हैं। वेटर, गायक, खिलाड़ी, नर्स, गाइड, गार्ड, वकील, जज, लेखक, चित्रकार, दोस्त, प्रेमी, जीवनसाथी, श्रमिक… आज रोबोट्स हर वह काम करने में सक्षम हैं, जो हम कर सकते हैं। यही वजह है कि इंसानों की रोजमर्रा की ज़िन्दगी में रोबोट्स का दखल, ज़रूरत और अहमियत बढ़ती जा रही है।
रोबोटोपिया की कहानियां, हमारे जीवन में यन्त्रमानवों की लगातार बदलती भूमिकाओं पर केंद्रित हैं और मानव सदृश मशीनों से हमारे भावी रिश्तों के नए आयाम प्रस्तुत करती हैं.