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Episodes: 8
देश भर में हजारों किलोमीटर में पसरे हाईवे और सड़कों पर हर साल सैकड़ों हत्याएं होती है। हजारों करोड़ का माल लूटा जाता है।
हाईवे पर सक्रिय माफिया की इन खूनी और दरिंदगी से भरी हरकतों पर कभी हंगामा नहीं होता। कारण बहुत डरावना है।
हाईवे अपराधों में दरअसल किसी अमीर की हत्या नहीं होती, न उससे हफ्तावसूली होती है। ये तो ट्रक ड्राइवर और क्लीनर हैं, जिन्हें हाईवे माफिया मार गिराते हैं।
ट्रकों-कंटेनरों से लूटे करोड़ों रुपए का माल काला बाजार में चंद सिक्कों में बेच कर पौ-बारह करते हैं। अमीर कारोबारी और कारपोरेट माल के बीमा की रकम लेकर चुप बैठ जाते हैं। मजलूम ड्राइवरों और क्लीनरों की मौत का मातम मनाने का वक्त किसी के पास नहीं होता।
पेट्रोल, डीजल, घासलेट, नेप्था चोरी, तस्करी से मिलावट तक, दवा-रसायनों-डाई की चोरी से मिलावट तक, लोहे के सरियों से कॉपर ड्रमों की चोरी तक, मोबाइल फोन, सिगरेट, तंबाकू, कपड़ों, प्लास्टिक दानों से भरे ट्रकों – कंटेनरों की लूटपाट तक, न जाने क्या-क्या हरकत नहीं करता सड़कों पर सक्रिय हाईवे माफिया।
देश के हाईवे पर दुर्दांत माफिया सक्रिय है। खोजी पत्रकार विवेक अग्रवाल और साथी राकेश दानी ने इस किताब में इसकी परत दर परत हर पोल खोली है।